फागुन की चली मदमस्त बयार खुशी से झूमे जिया मोरा आज बस में नहीं मेरे तन- मन आज फागुन फागुन की चली मदमस्त बयार खुशी से झूमे जिया मोरा आज बस में नहीं मेरे तन- मन...
मान लो कहना हमारा वरना प्रतीक्षा करो हमारे वार की। मान लो कहना हमारा वरना प्रतीक्षा करो हमारे वार की।
निरंकुशता जब सिर छा जाता है ! प्रलय का संकेत नजर आता है ! निरंकुशता जब सिर छा जाता है ! प्रलय का संकेत नजर आता है !
जो मैं पढ़ पाती तो दुनिया बदलती आज भी आता है पछताना मुझको। जो मैं पढ़ पाती तो दुनिया बदलती आज भी आता है पछताना मुझको।
मानवता को भूल गया है मानव कुसंस्कार कर रहे हैं आक्रमण ! मानवता को भूल गया है मानव कुसंस्कार कर रहे हैं आक्रमण !
आज की अपनी दुनिया में इंसान ढूंढ़ना मुश्किल है। आज की अपनी दुनिया में इंसान ढूंढ़ना मुश्किल है।